शक्तिदायी विचार
इस पुस्तक में स्वामीजी के उन चुने हुए सद्वाक्यों एवं विचारों का संग्रह है, जो उन्होंने विभित्र विषयों पर प्रकट किये थे। ये विचार केवल किसी व्यक्ति के…
इस पुस्तक में स्वामीजी के उन चुने हुए सद्वाक्यों एवं विचारों का संग्रह है, जो उन्होंने विभित्र विषयों पर प्रकट किये थे। ये विचार केवल किसी व्यक्ति के…
Please Disable Adblock to Show Download Link
DOWNLOAD eBooks
Author : Swami Vivekananda
Genre :
Summary : इस पुस्तक में स्वामीजी के उन चुने हुए सद्वाक्यों एवं विचारों का संग्रह है, जो उन्होंने विभिन्न विषयों पर प्रकट किये थे। ये विचार केवल किसी व्यक्ति के लिये ही लाभदायक नहीं, वरन्, समस्त राष्ट्र की उन्नति के लिए भी विशेष हितकर हैं। ये बड़े ही स्फूर्तिदायक, शक्तिशाली तथा यथार्थ मनुष्यत्व के निर्माण के निमित्त अद्वितीय पथप्रदर्शक हैं। उन लोगों के लिए, जो भारतवर्ष के आध्यात्मिक, राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक पुनरुत्थान के इच्छुक हैं, ये विचार विशेष लाभदायक होंगे।
Please Disable Adblock to Show Download Link
DOWNLOAD eBooks
Author : Santram Vatsya
Genre : Philosophers
Summary : On the life of Swami Vivekananda, 1863-1902, Indian philosopher and religious leader.
Please Disable Adblock to Show Download Link
DOWNLOAD eBooks
Author : Sisiter Nivedita
Genre : Biography & Autobiography
Summary : स्वामी विवेकानन्द की मानसपुत्री के रूप में सुपरिचित, उनकी प्रिय शिष्या भगिनी निवेदिता द्वारा अपने गुरुदेव के विषय में अंग्रेजी में लिखित ‘The Master As I Saw Him’ नामक सुप्रसिद्ध ग्रन्थ का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है। स्वामीजी ने, अमेरिका की अपनी दिग्विजय-यात्रा के दौरान यूरोप का भी दौरा किया था। वहाँ उनके प्रभावक्षेत्र में आनेवालों में एक अंग्रेज आयरिश महिला – कुमारी मार्गरेट नोबल भी एक थीं। परवर्ती काल में स्वामीजी ने उन्हें अपनी शिष्या के रूप में स्वीकार किया और उन्हें ‘भगिनी निवेदिता’ नाम दिया। भगिनी को अनेकों बार अपने गुरुदेव के साथ भ्रमण तथा निवास करने का सुयोग प्राप्त हुआ था। उन सान्निध्यों के दौरान उनके भावनेत्रों के समक्ष स्वामीजी के चरित्र के अनेक विशिष्ट पहलू अभिव्यक्त हुए थे, यथा – उनका अलौकिक व्यक्तित्व, उनका ऋषितुल्य जीवन, उनके द्वारा हिन्दू-धर्म में आनीत नवीन जागृति तथा उदारता का भाव, उनका मानवप्रेम, उनकी असीम देशभक्ति और उनकी अलौकिक दैवी शक्ति। बाद में उन्होंने अपनी इन अनुभूतियों को इस ग्रन्थ में सविस्तार प्रस्तुत किया। वे लिखती हैं – “उदात्त आदर्श – हमारे गुरुदेव के चिन्तन की इकाई थे, परन्तु ये आदर्श इतने सजीव हो उठते कि कोई यह सोच भी नहीं पाता था कि वे भाववाचक हैं। इन आदर्शों की सहायता से वे व्यक्ति और राष्ट्र – दोनों की ही समान रूप से, उनकी नैतिक उन्नति के मापदण्ड से व्याख्या करते।” स्वामीजी ने भी अपनी प्रिय शिष्या को कविता के रूप में एक अत्यन्त अद्भुत आशीर्वाद दिया था – माँ का हृदय, वीर की दृढ़ता दक्षिण के मलयानिल की सुमधुरता, वे पवित्र आकर्षण और शक्तिपुंज, जो आर्य वेदिकाओं पर, मुक्त और उद्दाम दमकते हैं; वे सब तेरे हों, और वह सब भी तेरा हो, जिसको अतीत में, कभी स्वप्न में भी न किसी ने सोचा हो तू हो जा भारत की भावी सन्तानों के हेतु स्वामिनी, सेविका, मित्र एकाकार। (२२ सितम्बर १९०० ई. को फ्रांस के ब्रिटानी से भगिनी निवेदिता के नाम लिखित पत्र के साथ प्रेषित कविता का हिन्दी अनुवाद।) निवेदिता के जीवन में, स्वामीजी का आशीर्वाद पूर्णतः फलीभूत हुआ था। उन्होंने भारत में नारीशिक्षा के विकास में अग्रदूत का कार्य किया और साथ ही राष्ट्रीय स्वाधीनता के आन्दोलन के राजनेताओं के साथ ही, क्रान्तिकारी योद्धाओं को भी विविध प्रकार से प्रेरणा तथा मार्गदर्शन देते हुए उनकी सहायता की थी। स्वामी विवेकानन्द के भारत लौटने के बाद, उनके आह्वान के उत्तर में १८९८ ई. के प्रारम्भ में वे भारत आयीं। पवित्रता, त्याग, तपस्या तथा सेवाव्रत – इन आध्यात्मिक आदर्शों से अनुप्राणित होकर, स्वामीजी की इस पाश्चात्य शिष्या ने, उन्हीं के मार्गदर्शन में भारतीय स्त्रियों को शिक्षित तथा आत्मनिर्भर बनाने के कार्य में स्वयं को खपा दिया। एक दृष्टि से कहें, तो हमारे देश में भगिनी निवेदिता ने ही भारतीय परम्पराओं के अनुसार ‘आधुनिक नारीशिक्षा’ का बीजारोपण किया था। भारत की उदात्त संस्कृति एवं भारतीय आम-जनता के साथ उनके जीवन का इतना गहरा तादात्म्य हो गया था कि एक भारतीय मनीषी ने उन्हें ‘लोकमाता’ की आख्या देकर उन्हें गौरव प्रदान किया था।
Please Disable Adblock to Show Download Link
DOWNLOAD eBooks
Author : Swami Nikhileshwarananda
Genre : Art
Summary : “स्वामी विवेकानन्द जैसे दुर्लभ देवमानव युग-युगान्तर में एकाध बार अवतीर्ण होते हैं। तब वे समग्र मानव जाति को एक नयी दिशा प्रदान कर उसका उद्धार साधित करते हैं। स्वामी विवेकानन्द ने समग्र विश्व की चिन्तनधारा को परिवर्तित कर दिया था। युवावस्था में मानवजीवन की अन्तर्निहित अनेकविध शक्तियाँ विकासोन्मुख होती हैं। संसार के राजनैतिक, सामाजिक या धार्मिक क्षेत्र में जो क्रान्तियाँ हुईं, उनका मूलस्रोत युवाशक्ति ही रही है। वर्तमान युग में हमारी मातृभूमि की दुर्दशा तथा आध्यात्म ज्ञान के अभाव से उत्पन्न समग्र मानवजाति की समस्याओं तथा चुनौतियों को देखकर जब परिव्राजक स्वामी विवेकानन्द व्यथित हृदय से इसका उपाय सोचने लगे, तो उन्हें यह स्पष्ट दृष्टिगोचर हुआ कि हमारे बलवान, बुद्धिमान, पवित्र एवं निःस्वार्थ युवकों द्वारा ही भारत एवं समस्त संसार का पुनरुत्थान होगा। उन्होंने गुरुगम्भीर स्वर से हमारे युवकों को ललकारा : “उठो! जागो! – शुभ घड़ी आ गयी है”, “उठो! जागो! तुम्हारी मातृभूमि तुम्हारा बलिदान चाहती है”, “उठो! जागो! सारा संसार तुम्हें आह्वान कर रहा है ! युवाशक्ति को प्रेरित करने के लिए स्वामीजी ने भारतवर्ष के विभिन्न प्रान्तों में जो तेजोदीप्त भाषण दिये, उन्हें पढ़ते हुए आज भी हृदय में स्वामी विवेकानन्द जैसे दुर्लभ देवमानव युग-युगान्तर में एकाध बार अवतीर्ण होते हैं। तब वे समग्र मानव जाति को एक नयी दिशा प्रदान कर उसका उद्धार साधित करते हैं। स्वामी विवेकानन्द ने समग्र विश्व की चिन्तनधारा को परिवर्तित कर दिया था। युवावस्था में मानवजीवन की अन्तर्निहित अनेकविध शक्तियाँ विकासोन्मुख होती हैं। संसार के राजनैतिक, सामाजिक या धार्मिक क्षेत्र में जो क्रान्तियाँ हुईं, उनका मूलस्रोत युवाशक्ति ही रही है। वर्तमान युग में हमारी मातृभूमि की दुर्दशा तथा अाध्यात्म ज्ञान के अभाव से उत्पन्न समग्र मानवजाति की समस्याओं तथा चुनौतियों को देखकर जब परिव्राजक स्वामी विवेकानन्द व्यथित हृदय से इसका उपाय सोचने लगे, तो उन्हें यह स्पष्ट दृष्टिगोचर हुआ कि हमारे बलवान, बुद्धिमान, पवित्र एवं निःस्वार्थ युवकों द्वारा ही भारत एवं समस्त संसार का पुनरुत्थान होगा। उन्होंने गुरुगम्भीर स्वर से हमारे युवकों को ललकारा : “उठो! जागो! – शुभ घड़ी आ गयी है”, “उठो! जागो! तुम्हारी मातृभूमि तुम्हारा बलिदान चाहती है”, “उठो! जागो! सारा संसार तुम्हें आह्वान कर रहा है ! युवाशक्ति को प्रेरित करने के लिए स्वामीजी ने भारतवर्ष के विभिन्न प्रान्तों में जो तेजोदीप्त भाषण दिये, उन्हें पढ़ते हुए आज भी हृदय में नवीन शक्ति और प्रेरणा का संचार होता है।”
Please Disable Adblock to Show Download Link
DOWNLOAD eBooks
Author : Savita Pandit
Genre : Biography & Autobiography
Summary : स्वामी विवेकानंद: एक महान योगी" पुस्तक स्वामी विवेकानंद के जीवन, उनकी शिक्षाओं और उनके योगिक जीवन दर्शन का वर्णन करती है। यह पुस्तक विवेकानंद की आध्यात्मिक यात्रा, उनके विचारों की प्रगतिशीलता, और उनके द्वारा प्रस्तुत योग और वेदांत के सिद्धांतों का गहन अध्ययन प्रस्तुत करती है। विवेकानंद ने न केवल भारत में बल्कि पश्चिमी दुनिया में भी योग और वेदांत के संदेश को फैलाया और आधुनिक युग में उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। इस पुस्तक में स्वामी जी के उपदेशों को सरल और संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे पाठक उनके विचारों को आसानी से समझ सकें और उन्हें अपने जीवन में उतार सकें। "स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएँ और उनका दर्शन आत्म-जागरण और समाज सेवा के संदेशों से भरपूर हैं। 'स्वामी विवेकानंद: एक महान योगी' पुस्तक में उनके महान चिंतन और उपदेशों को ऐसे संकलित किया गया है जो व्यक्तिगत उन्नति और सामाजिक उत्थान के लिए एक सार्थक पथ प्रदर्शित करते हैं। यह पुस्तक न केवल एक आध्यात्मिक मार्गदर्शिका है, बल्कि यह एक युग-निर्माणकारी विचारक के जीवन और कार्यों की गहराई को भी उजागर करती है। स्वामी जी के अनमोल विचार जीवन के हर क्षेत्र में प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत बन सकते हैं।
Please Disable Adblock to Show Download Link
DOWNLOAD eBooks
Author : Bajrang Lal Gupta & Laxminarayan Bhala
Genre : Self-Help
Summary : गुरुभाइयों में सम्मानपूर्वक ‘स्वामीजी’ संबोधन प्राप्त करनेवाले नरेंद्रनाथ दत्त ने ऊहापोह की स्थिति में मठ छोड़कर भारत-भ्रमण करने का मन बनाया। अपने गुरुभाइयों को भी स्पष्ट निर्देश दिया कि अपना झोला उठाकर भारत का मानचित्र अपने साथ लो और भारत-भ्रमण के लिए निकल पड़ो। भारत को जानना एवं भारतवासियों को भारत की पहचान करा देना; यही हमारा प्रथम कार्य है। स्वामीजी ने धीर-गंभीर होकर कहा कि योगी बनना चाहते हो तो पहले उपयोगी बनो; भारतमाता के दुःख व कष्ट को समझो। उसे दूर करने के लिए अपने आपको उपयोगी बनाओ; तभी तो योगी बन पाओगे। आज की वर्तमान पीढ़ी भी वर्ष 2020 तक विश्व को नेतृत्व प्रदान करनेवाले भारत को अपने हाथों सँवारना चाहती है। भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन; गोरक्षा; गंगा की पवित्रता; कालेधन की वापसी; राममंदिर-रामसेतु आदि मानबिंदुओं के सम्मान की रक्षा के आंदोलन; आसन्न जल संकट; पर्यावरण; कानून; सीमा-सुरक्षा; सांप्रदायिक सौहार्द; संस्कार-युक्त शिक्षा; संस्कृति रक्षा; राष्ट्रवादी साहित्य; महिला गौरवीकरण आदि के लिए हो रही गतिविधियाँ भारत निर्माण की छटपटाहट का ही प्रकटीकरण हैं। इन सभी क्रियाकलापों को नेतृत्व प्रदान करनेवाले लोग कम या अधिक मात्रा में स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा पाकर उनके सपनों का भारत बनाने में लगे हैं। स्वामी विवेकानन्द के सपनों के स्वावलंबी; स्वाभिमानी; शक्तिशाली; सांस्कृतिक; संगठित भारत के निर्माण को कृत संकल्प कृति।