कर्म और उसका रहस्य (Hindi Self-help)
कुछ भी न मांगो, बदले में कोई चाह न रखो। तुम्हें जो कुछ देना हो, दे दो। वह तुम्हारे पास वापस आ जाएगा; लेकिन आज ही उसका विचार मत करो। वह हजार गुना होकर वापस…
कुछ भी न मांगो, बदले में कोई चाह न रखो। तुम्हें जो कुछ देना हो, दे दो। वह तुम्हारे पास वापस आ जाएगा; लेकिन आज ही उसका विचार मत करो। वह हजार गुना होकर वापस…
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Author : स्वामी विवेकानन्द
Genre : Self-Help
Summary : कुछ भी न मांगो, बदले में कोई चाह न रखो। तुम्हें जो कुछ देना हो, दे दो। वह तुम्हारे पास वापस आ जाएगा; लेकिन आज ही उसका विचार मत करो। वह हजार गुना होकर वापस आयेगा, पर तुम अपनी दृष्टि उधर मत रखो। देने की ताकत पैदा करो। दे दो और बस काम खत्म हो गया। - स्वामी विवेकानन्द
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Author : Swami Vivekananda
Genre :
Summary : स्वामी विवेकानन्दजी ने अमेरिका, लंदन और भारत में कर्म-रहस्य (Secret of work) पर जो व्याख्यान दिये थे उसी का यह हिन्दी अनुवाद है। तथापि ‘कर्मयोग’ पुस्तक से यह पुस्तक भिन्न है। ‘कर्म क्या है और अकर्म क्या है, इस विषय में बुद्धिमान भी मोहित हो जाते हैं।’ कोई भी मनुष्य क्षणमात्र भी कर्म किये बिना नहीं रहता, क्योंकि सभी प्राणी प्रकृति से उत्पन्न ‘सत्त्व, रज और तम’ इन तीन गुणों द्वारा कर्म में प्रवृत्त किये जाते है’ ऐसा भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में कहा है। जो कर्म मनुष्य को बन्धनकारी होते हैं, वे ही कर्म मनुष्य को मुक्त कराने में कैसे साधन हो सकते हैं, इसका ‘रहस्य’ स्वामीजी ने इस पुस्तक में उजागर किया है। हमारे कर्म हमारी उपासना हो सकती है और कर्म करते हुए हम सदैव अनासक्त रह सकते हैं; तथा हमारा क्षुद्र अहंभाव कर्मयोग में विलीन हो जाता है, एवं ‘मैं आत्मा हूँ, ब्रह्म हूँ’ इस आत्मानुभूति का अलौकिक आनन्द हम कैसे प्राप्त कर सकते हैं, यह ज्ञान स्वामीजी ने आधुनिक युग में उद्घाटित किया है।
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Author : स्वामी विवेकानन्द
Genre : Self-Help
Summary : एकाग्रता ही सभी प्रकार के ज्ञान की नींव है, इसके बिना कुछ भी करना सम्भव नहीं है। ज्ञानार्जन के लिए किस प्रकार मन को एकाग्र करना चाहिए इसका दिग्दर्शन इस पुस्तिका में किया गया है। एकाग्र मन एक सर्च लाइट के समान है। सर्चलाइट हमें दूर तथा अँधेरे कोनों में पड़ी वस्तुओं को भी देखने में समर्थ बनाता है
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Author : Satish Dhar
Genre : Fiction
Summary : Study on the Rahasyopadeśa, work of Rupa Bhavani, 1625-1721, Kashmiri mystic poetess; includes text with interpretation.
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Author : स्वामी विवेकानन्द
Genre : Self-Help
Summary : इस पुस्तक में स्वामीजी के उन चुने हुए सद्वाक्यों एवं विचारों का संग्रह है, जो उन्होंने विभित्र विषयों पर प्रकट किये थे। ये विचार केवल किसी व्यक्ति के लिए ही लाभदायक नहीं, वरन्, समस्त राष्ट्र की उन्नति के लिए भी विशेष हितकर हैं। ये बड़े ही स्फूर्तिदायक, शक्तिशाली तथा यथार्थ मनुष्यत्व के निर्माण के निमित्त अद्वितीय पथप्रदर्शक हैं। उन लोगों के लिए, जो भारतवर्ष के आध्यात्मिक, राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक पुनरुत्थान के इच्छुक हैं, ये विचार विशेष लाभदायक होंगे।
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Author : स्वामी विवेकानन्द
Genre : Self-Help
Summary : स्वामी विवेकानन्द के सन्देशों में भारत के आध्यात्मिक भण्डार का सारतत्त्व समाहित है जिसे उन्होंने आधुनिक परिप्रेक्ष्य में वैज्ञानिक आधार पर सहज-सरल शब्दों में हमारे समक्ष प्रस्तुत किया है। ये सभी विश्वमानवता के लिए प्रेरणादायी हैं. समाज के सभी वर्ग, सभी धर्म एवँ सभी जातियों के मनुष्यों के लिए समान रूप से उपयोगी है। स्वामीजी की शक्तिशाली प्रोत्साहक वाणी युवकों के मन को जगाने वाली है। आत्मविश्वास एवं जीवन की समस्याओं का सामना करने की शक्ति प्रदान करने वाली, उनके हदय में प्रेम एवं सेबाभाव उत्पत्न्न करनेयाली, हमेशा नैतिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करने वाली एवं जीवन की कठिनाइयों और अनिश्चितता के समय सही मार्गदर्शन करने वाली है। प्रस्तुत पुस्तक स्वामी के प्रसिद्ध उपदेशों एवं प्रेरणादायी उक्तियों का संग्रह है, जिसे विवेकानन्द साहित्य से लिया गया है
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Author : Swami Vivekananda
Genre :
Summary : वास्तविक ‘व्यक्तित्व’ किसे कहते है, इस विषय में हम लोग काफी अनभिज्ञ हैं। हम यह नहीं जानते कि व्यक्तित्व के विकास का संबंध हमारी मूल चेतना अथवा हमारे ‘अहं’ से है। अत: यह देखने में आता है कि व्यक्तित्व के विकास के नाम पर केवल बाहरी, दिखावटी रूप पर ही बल दिया जाता है। इस पुस्तक में हम इसी विषय पर स्वामी विवेकानन्दजी के उपयुक्त विचार प्रस्तुत कर रहे हैं। स्वामी विवेकानन्द साहित्य से उपरोक्त विचारों का संकलन किया गया है।