[PDF] Samkaleen Hindi Dalit Sahitya Ek Vichar Vimarsh - eBooks Review

Samkaleen Hindi Dalit Sahitya Ek Vichar Vimarsh


Samkaleen Hindi Dalit Sahitya Ek Vichar Vimarsh
DOWNLOAD

Download Samkaleen Hindi Dalit Sahitya Ek Vichar Vimarsh PDF/ePub or read online books in Mobi eBooks. Click Download or Read Online button to get Samkaleen Hindi Dalit Sahitya Ek Vichar Vimarsh book now. This website allows unlimited access to, at the time of writing, more than 1.5 million titles, including hundreds of thousands of titles in various foreign languages. If the content not found or just blank you must refresh this page



Samkaleen Hindi Dalit Sahitya Ek Vichar Vimarsh


Samkaleen Hindi Dalit Sahitya Ek Vichar Vimarsh
DOWNLOAD
Author : Surajpal Chauhan
language : hi
Publisher: Vani Prakashan
Release Date :

Samkaleen Hindi Dalit Sahitya Ek Vichar Vimarsh written by Surajpal Chauhan and has been published by Vani Prakashan this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on with Literary Criticism categories.




Hindi Alochana Ka Alochanatmak Itihas


Hindi Alochana Ka Alochanatmak Itihas
DOWNLOAD
Author : Dr. Amarnath
language : en
Publisher: Rajkamal Prakashan Pvt Ltd
Release Date : 2023-01-12

Hindi Alochana Ka Alochanatmak Itihas written by Dr. Amarnath and has been published by Rajkamal Prakashan Pvt Ltd this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 2023-01-12 with Art categories.


‘हिन्दी आलोचना का आलोचनात्मक इतिहास’ हिन्दी आलोचना का इतिहास है, लेकिन ‘आलोचनात्मक’। इसमें लेखक ने प्रचलित आलोचना की कुछ ऐसी विसंगतियों को भी रेखांकित किया है, जिनकी तरफ आमतौर पर न रचनाकारों का ध्यान जाता है, न आलोचकों का। उदाहरण के लिए हिन्दी साहित्य के आलोचना-वृत्त से उर्दू साहित्य का बाहर रह जाना; जिसके चलते उर्दू अलग होते-होते सिर्फ एक धर्म से जुड़ी भाषा हो गई और उसका अत्यन्त समृद्ध साहित्य हिन्दुस्तानी मानस के बृहत काव्यबोध से अलग हो गया। कहने की जरूरत नहीं कि आज इसके सामाजिक और राजनीतिक दुष्परिणाम हमारे सामने एक बड़े खतरे की शक्ल में खड़े हैं। सुबुद्ध लेखक ने इस पूरी प्रक्रिया के ऐतिहासिक पक्ष का विवेचन करते हुए यहाँ उर्दू-साहित्य आलोचना को भी अपने इतिहास में जगह दी है। आधुनिक गद्य साहित्य के साथ ही आलोचना का जन्म हुआ, इस धारणा को चुनौती देते हुए वे यहाँ संस्कृत साहित्य की व्यावहारिक आलोचना को भी आलोचना की सुदीर्घ परम्परा में शामिल करते हैं, और फिर सोपान-दर-सोपान आज तक आते हैं जहाँ मीडिया-समीक्षा भी आलोचना के एक स्वतंत्र आयाम के रूप में पर्याप्त विकसित हो चुकी है। कुल इक्कीस सोपानों में विभाजित इस आलोचना-इतिहास में लेखक ने अत्यन्त तार्किक ढंग से विधाओं, प्रवृत्तियों, विचारधाराओं, शैलियों आदि के आधार पर बाँटते हुए हिन्दी आलोचना का एक सम्पूर्ण अध्ययन सम्भव किया है। अपने प्रारूप में यह पुस्तक एक सन्दर्भ ग्रंथ भी है और आलोचना को एक नए परिप्रेक्ष्य में देखने का वैचारिक आह्वान भी।



Samkaleen Hindi Sahitya Vividh Vimarsh


Samkaleen Hindi Sahitya Vividh Vimarsh
DOWNLOAD
Author :
language : hi
Publisher: Vani Prakashan
Release Date :

Samkaleen Hindi Sahitya Vividh Vimarsh written by and has been published by Vani Prakashan this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on with categories.




The Administrator


The Administrator
DOWNLOAD
Author :
language : en
Publisher:
Release Date : 1998

The Administrator written by and has been published by this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 1998 with Management categories.






DOWNLOAD
Author : Dr. Louis Hauhnar
language : hi
Publisher: Horizon Books ( A Division of Ignited Minds Edutech P Ltd)
Release Date : 2014-05-01

written by Dr. Louis Hauhnar and has been published by Horizon Books ( A Division of Ignited Minds Edutech P Ltd) this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 2014-05-01 with categories.


Nothing provided



Batkahi


Batkahi
DOWNLOAD
Author : Manager Pandey
language : hi
Publisher: Vani Prakashan
Release Date : 2019-11-06

Batkahi written by Manager Pandey and has been published by Vani Prakashan this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 2019-11-06 with Architecture categories.


'बतकही' प्रसिद्ध आलोचक डॉ. मैनेजर पाण्डेय से की गयी बातचीत की पुस्तक है। प्रचलित अर्थों में यह पुस्तक विभिन्न विषयों पर डॉ. पाण्डेय द्वारा दिये गये सत्रह साक्षात्कारों का संग्रह है; पर शैली के स्तर पर यह शुद्ध अन्तरंग बातचीत है जिसमें औपचारिकता नहीं, अन्तरंगता है। इसे स्पष्ट करते हुए डॉ. पाण्डेय ‘आमुख' में कहते हैं- 'बतकही' शब्द दो व्यक्तियों के बीच किसी भी विषय और व्यक्ति के बारे में बातचीत के दौरान सहजता, स्वाभाविकता, सहृदयता और समानता की ओर संकेत करता है। बतकही सार्थक तब होती है जब सवाल करने वाला व्यक्ति पूरी तैयारी के साथ बातचीत में भाग लेता है।" ज़ाहिर है, इस पुस्तक में बातचीत करने वाले लोग सहृदयता, सहजता, स्वाभाविकता तथा समानता के साथ लेखक से संवाद करते हैं और विविध प्रश्नों पर हुई बातचीत में अपनी अन्तरंग सहभागिता दिखाते हैं। इस स्तर पर देखें तो पूरी पुस्तक हमें अपनी प्रक्रिया में लिए चलती है और हम पाते हैं कि इसमें भागीदारी कर रहे हैं। पुस्तक में शामिल सत्रह साक्षात्कारों यानी बतकहियों में बहुत आत्मीयता और अनौपचारिकता के साथ डॉ. पाण्डेय ने अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों पर बातचीत की है जिनमें आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के इतिहास का तोड़ अभी तक नहीं आया, दलित स्त्री की पराधीनता तीन स्तरों पर है, मैं आलोचना को कवि और कविता से बड़ा नहीं मानता, यथार्थवादी रचनाशीलता की स्थिति अब भी बहुत अच्छी है, लेखक परम्परा से कुछ सीखते हुए नया सोचें, सम्पूर्ण अर्थ में भारतीय कवि हैं निराला शीर्षक साक्षात्कार शामिल हैं। ‘बतकही' में अनेक ऐसे विषयों पर बातचीत है जो आज के समय में प्रासंगिक हैं और हमें अपनी भूमिका की याद दिलाते हैं। आधुनिकता के प्रश्न हों या मुक्तिबोध की कविता पर विचार हो, नागार्जुन और केदारनाथ अग्रवाल के कवि-कर्म को देखना हो या मार्केज़ के उपन्यास पर विचार करना हो-डॉ. पाण्डेय साहित्य की सामाजिकता और आलोचना के दायित्व के साथ-साथ हमारे नागरिक कर्तव्यों की याद भी दिलाते हैं। कह सकते हैं कि 'बतकही' पढ़ने योग्य पुस्तक तो है ही, आज के दिग्भ्रमित समय में दिशा देने वाली भी है। -ज्योतिष जोशी



Asmita Vimarsh


Asmita Vimarsh
DOWNLOAD
Author :
language : hi
Publisher: Naye Pallav
Release Date :

Asmita Vimarsh written by and has been published by Naye Pallav this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on with Education categories.


Asmita Vimarsh is a collection of research papers of different writers on different topics in Hindi. Asst. Prof. Dr. Parshotam Kumar, Jammu University, has edited the book. You can get the book in a fantastic design and look.



Hindi Aur Marathi Dalit Mahila Kavya Ek Tulnatmak Adhyayan


Hindi Aur Marathi Dalit Mahila Kavya Ek Tulnatmak Adhyayan
DOWNLOAD
Author : Dr. Milind R Somwanshi
language : hi
Publisher: Sankalp Publication
Release Date :

Hindi Aur Marathi Dalit Mahila Kavya Ek Tulnatmak Adhyayan written by Dr. Milind R Somwanshi and has been published by Sankalp Publication this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on with Comics & Graphic Novels categories.


: भारतीय स्त्री बारहवीं शताब्दी की प्रख्यात कन्नड़ कवियत्री- अक्का महादेवी और सोलहवीं शताब्दी की हिंदी कवयित्री मीराबाई इन्ही के बाद भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियत्री सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले महिला आन्दोलन की शुरूआत 18वीं शताब्दी से मानी जाती है | इन्ही की प्रेरणा से आज स्वर्ण हो या दलित सभी महिलाओंको शिक्षा प्राप्त करनेका अधिकार मिला हैं| आधुनिक भारत के पितामहा बाबा साहब डॉ भीमराव रामजी अम्बेकर. इन्ही की बदौलत से भारतीय नारी स्वतंत्र हैं | दलित साहित्य से तात्पर्य दलित जीवन और उसकी समस्याओं पर लेखन को केन्द्र में रखकर हुए साहित्यिक आंदोलन से है जिसका सूत्रपात दलित पैंथर से माना जा सकता है। दलितों को हिंदू समाज व्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर होने के कारण न्याय, शिक्षा, समानता तथा स्वतंत्रता आदि मौलिक अधिकारों से भी वंचित रखा गया। उन्हें अपने ही धर्म में अछूत या अस्पृश्य माना गया। दलित साहित्य की शुरूआत मराठी से मानी जाती है जहां दलित पैंथर आंदोलन के दौरान बडी संख्या में दलित जातियों से आए रचनाकारों ने आम जनता तक अपनी भावनाओं, पीडाओं, दुखों-दर्दों को कविताओं, निबन्धों, जीवनियों, कटाक्षों, व्यंगों, कथाओं आदि ऐसे अनेक समश्याओंको देखते हुए| दलित कवीत्रियोने अपने कविता के माध्यम से इसका खंडन किय हैं हिंदी और मराठी दलित महिला विशेष कवीयत्रियोंके कविताओं में समानता पर विशेष बल, छूआछूत का आजीवन विरोध, सामाजिक समानता,घरेगु हिंसा,साथी प्रथा,विधवा स्त्री को अपमानित करना, अंधविश्वास, अशिक्षा.बांझपन,बलात्कार,बाल विवाह और दहेज़ प्रथा ऐसे विविध समस्यापर बल देते हुए स्वतंत्रता और न्याय तत्कालीन सामाजिक और राजनितिक स्तिथि की प्रामाणिक अभिव्यक्ति इस पुस्तक का मुख्य आधार हैं |



Dalit Stree Kendrit Kahaniyan


Dalit Stree Kendrit Kahaniyan
DOWNLOAD
Author : Edited by Rajat Rani Meenu , Co-Editor Vandana
language : hi
Publisher: Vani Prakashan
Release Date : 2023-09-11

Dalit Stree Kendrit Kahaniyan written by Edited by Rajat Rani Meenu , Co-Editor Vandana and has been published by Vani Prakashan this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 2023-09-11 with Literary Criticism categories.


दलित शब्द अपने आप में, श्रेष्ठ सभ्यता का दम्भ भरने वाले समाज के चेहरे का, बहुत बड़ा घाव है। तिस पर अगर यह स्त्री शब्द के साथ जुड़ा हो तो और विडम्बनापूर्ण बन जाता है। पुरुष प्रधान समाज में स्त्रियों की स्थिति दोयम दर्जे की ही बनी हुई है। इन्हीं विडम्बनात्मक स्थितियों को उभारने का प्रयास है यह संकलन। इस संकलन की कहानियों में आयी स्त्री चरित्र - सरबतिया, मारिया, कजली, रुक्खो, सुनीता, अमली, रमा, प्रज्ञा, कौसर, उषा, सुरजी बुआ, अपूर्वा, रोशनी, गंगोदेई, चरिता, फूलमती-चन्दो, उमा, नविता और बेस्ट ऑफ़ करवाचौथ की नायिका आदि दलित स्त्री की अस्मिता को बड़े सशक्त ढंग से परिरक्षित करती हैं। दलित स्त्री की पीड़ा न केवल प्रायः कम पढ़े-लिखे माने जाने वाले ग्रामीण समाज तक सीमित है, बल्कि आधुनिकता की चमक ओढ़े और पढ़ा-लिखा माने जाने वाले महानगरीय जीवन में भी उतनी ही गाढ़ी है। इस संकलन की कहानियों में ग्रामीण और महानगरीय जीवन में संघर्ष करती और जड़ स्थापनाओं से लड़ती स्त्रियाँ हैं। संघर्षशील समाजों और वर्गों की एक विशेषता यह भी होती है कि वे न सिर्फ़ अपनी स्थितियों से मुक्ति का प्रयास करते, बल्कि वैचारिक जड़ताओं को भी छिन्न-भिन्न करते हैं। ऐसे समाजों में स्त्रियों की भूमिका उल्लेखनीय होती है। वे परदे के पीछे भिंची-सकुचाई नहीं होतीं, चारदीवारी में बन्द तथाकथित उच्च वर्ण की स्त्रियों की तरह दब्बू और समझौतापरस्त नहीं होती। हर मोर्चे पर संघर्ष करती दिखती हैं। इस अर्थ में दलित स्त्रियों ने सदा से अग्रणी भूमिका निभाई है। पुरुषों की अपेक्षा उनकी छवि एक अधिक जुझारू और दबंग व्यक्ति की है। दलित समाज की स्त्रियों को पुरुषों की अपेक्षा अधिक साहसिक क़दम उठाते देखा जाता है। जहाँ पुरुष समझौतापरस्त नज़र आने लगता है, वहाँ स्त्रियाँ तनकर खड़ी हो जाती हैं। इस संकलन में ऐसे कई स्त्री चरित्र हैं, जो न सिर्फ अपनी अस्मिता, बल्कि पूरे वर्ग की चेतना को धार देती हैं। इस तरह कई बार दलित समाज भी उनकी वैचारिक डोर को पकड़ यथास्थिति को चुनौती देता, उस मानसिकता से बाहर निकलने का प्रयास करता देखा जाता है। इन अर्थों में स्त्रियाँ अधिक साहसी, अधिक आज़ादख़याल और मुक्त नज़र आती हैं। अच्छी बात है कि दलित लेखन की उम्र कम होने के बावजूद इसने अपनी परिपक्व चिन्तन-धारा विकसित कर ली है और इसमें स्त्री रचनाकारों की भी एक बड़ी संख्या जुड़ती गयी है। इस संकलन में इस दौर की सभी प्रमुख स्त्री कथाकारों की कहानियाँ सम्मिलित हैं। स्त्री रचनाकारों के स्त्री पात्र इसलिए महत्त्वपूर्ण हैं कि वे कथाशिल्प के प्रचलित खाँचों से बाहर निकलकर अनुभव की ठोस ज़मीन पर विकसित हुई हैं। उनकी दुनिया अधिक वास्तविक है। उनके अनुभव अधिक प्रामाणिक हैं। इस संकलन का सम्पादन करते हुए रजतरानी मीनू ने इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि इसमें हर क्षेत्र की दलित स्त्रियों का समावेश हो सके। हर इलाके की दलित स्त्रियों की स्थिति उजागर हो सके। इसलिए उन्होंने बड़ी सावधानी से कहानियों का चुनाव करते हुए उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि के परिवेश का भी ध्यान रखा है। इसमें महानगरीय जीवन में दलित की स्थिति पर केन्द्रित कहानियाँ भी हैं। इस तरह इस संकलन की कहानियों से पूरे भारत की दलित स्त्री का मुकम्मल चेहरा उभरता है। - सूर्यनाथ सिंह एसोसिएट सम्पादक, जनसत्ता



Hindi Dalit Sahitya Ek Mulyankan


Hindi Dalit Sahitya Ek Mulyankan
DOWNLOAD
Author : Pramoda Kovvaprata
language : hi
Publisher: Vani Prakashan
Release Date : 2016

Hindi Dalit Sahitya Ek Mulyankan written by Pramoda Kovvaprata and has been published by Vani Prakashan this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 2016 with Dalits in literature categories.


सम्पूर्ण भारतीय साहित्य में जो दलित विमर्श तथा आंदोलन फिलहाल चल रहे हैं,उसके जड़ें इस पुस्तक पाठक को खोजने पर मिल जाएगी। इस पुस्तक के पीछे मुखयतः दो तरह कि प्रेरणाएं रही हैं। उसमे एक तो प्रटूट विषय कि प्रासंगिकता है तो दूसरी कृति केन्द्रित मूल्यांकनपरक समीक्षा ग्रन्थों का अभाव है। दलित साहित्य पर पुस्तकें कई हैं,पर कृतीयों के समग्र मूल्यांकन कि कमी कभी-कभी महसूस होती है। इसी परिप्रेक्ष्य में यह पुस्तक लिखी गयी है।