Divya Bhagwadgita Atma Se Parmatma Tak


Divya Bhagwadgita Atma Se Parmatma Tak
DOWNLOAD

Download Divya Bhagwadgita Atma Se Parmatma Tak PDF/ePub or read online books in Mobi eBooks. Click Download or Read Online button to get Divya Bhagwadgita Atma Se Parmatma Tak book now. This website allows unlimited access to, at the time of writing, more than 1.5 million titles, including hundreds of thousands of titles in various foreign languages. If the content not found or just blank you must refresh this page





Divya Bhagwadgita Atma Se Parmatma Tak


Divya Bhagwadgita Atma Se Parmatma Tak
DOWNLOAD

Author : Ashok Agrawal
language : hi
Publisher: Prabhat Prakashan
Release Date : 2020-01-01

Divya Bhagwadgita Atma Se Parmatma Tak written by Ashok Agrawal and has been published by Prabhat Prakashan this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 2020-01-01 with Religion categories.


श्रीमद्भगवद्गीता के अतुलनीय महत्त्व के कारण विश्व की 75 विदेशी भाषाओं सहित लगभग 82 भाषाओं में इसका रूपांतरण हो चुका है तथा सहस्रों टीकाएँ इस पर लिखी जा चुकी हैं। तो फिर इस एक और टीका की आवश्यकता क्यों पड़ी? जिन-जिन विद्वानों के मन में त्रिगुणमयी प्रकृति के गुणों से जन्य जैसा भाव उनके अंतःकरण व बुद्धि में रहा; उसके अनुरूप ही उन्होंने ‘गीता’ को अपने शब्दों में सँजोकर अपनी-अपनी कृतियों में उड़ेल दिया है। इसीलिए ‘गीता’ में भगवान् श्रीकृष्ण का एक निश्चित मत होते हुए भी भिन्न-भिन्न विद्वानों की कृतियों में नाना प्रकार से मतों की विभिन्नता दिखाई पड़ती है; जो कि स्वाभाविक ही है। भगवद्गीता में भगवान् श्रीकृष्ण के द्वारा दिए गए उपदेशों में जो सारगर्भित निश्चित मत अंतर्निहित है; उसी को स्वरूप देने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है। परमात्मा के दिव्य अमृत वचनों के रहस्य तो परमगुह्य; अकथनीय; विशद एवं अलौकिक हैं। प्रस्तुत कृति आधुनिक युग के मानव को शोक; संत्रास; अतृप्त तृष्णाओं के उद्वेगों से मुक्ति दिलाकर शाश्वत सच्चिदानंद परमात्मा के सायुज्य में लाने का एक विनम्र प्रयास है।



Divya Bhagwadgita Atma Se Parmatma Tak


Divya Bhagwadgita Atma Se Parmatma Tak
DOWNLOAD

Author : Ashok Agrawal
language : hi
Publisher: Prabhat Prakashan Pvt Limited
Release Date : 2021-01-02

Divya Bhagwadgita Atma Se Parmatma Tak written by Ashok Agrawal and has been published by Prabhat Prakashan Pvt Limited this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 2021-01-02 with Fiction categories.


श्रीमद्भगवद्गीता के अतुलनीय महत्त्व के कारण विश्व की 75 विदेशी भाषाओं सहित लगभग 82 भाषाओं में इसका रूपांतरण हो चुका है तथा सहस्रों टीकाएँ इस पर लिखी जा चुकी हैं। तो फिर इस एक और टीका की आवश्यकता क्यों पड़ी? जिन-जिन विद्वानों के मन में त्रिगुणमयी प्रकृति के गुणों से जन्य जैसा भाव उनके अंतःकरण व बुद्धि में रहा, उसके अनुरूप ही उन्होंने 'गीता' को अपने शब्दों में सँजोकर अपनी-अपनी कृतियों में उड़ेल दिया है। इसीलिए 'गीता' में भगवान् श्रीकृष्ण का एक निश्चित मत होते हुए भी भिन्न-भिन्न विद्वानों की कृतियों में नाना प्रकार से मतों की विभिन्नता दिखाई पड़ती है, जो कि स्वाभाविक ही है। भगवद्गीता में भगवान् श्रीकृष्ण के द्वारा दिए गए उपदेशों में जो सारगर्भित निश्चित मत अंतर्निहित है, उसी को स्वरूप देने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है। परमात्मा के दिव्य अमृत वचनों के रहस्य तो परमगुह्य, अकथनीय, विशद एवं अलौकिक हैं। प्रस्तुत कृति आधुनिक युग के मानव को शोक, संत्रास, अतृप्त तृष्णाओं के उद्वेगों से मुक्ति दिलाकर शाश्वत सच्चिदानंद परमात्मा के सायुज्य में लाने का एक विनम्र प्रयास है।



Shrimad Bhagwad Gita Hindi Mahakavya Saral Bhaashya Sahit


Shrimad Bhagwad Gita Hindi Mahakavya Saral Bhaashya Sahit
DOWNLOAD

Author : Sarla Hooda
language : hi
Publisher: Blue Rose Publishers
Release Date : 2020-12-03

Shrimad Bhagwad Gita Hindi Mahakavya Saral Bhaashya Sahit written by Sarla Hooda and has been published by Blue Rose Publishers this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 2020-12-03 with Religion categories.


From the battlefield of Mahabharata, Lord Krishna uttered the holy words of Bhagavad Gita, the epic of Indian spirituality which has inspired countless people over many centuries. The Bhagavad Gita holds immaculate relevance as natural imbalance is the biggest concern in life at present times. In chapter 7 (verses 4-6) Shree Krishna tells Arjuna about the duality of nature –physical and metaphysical. In chapter 10, Lord Krishna suggests his presence in every particle of the universe and informs mankind to nurture the nature henceforth; for only the assimilation of this principal can stimulate and rejuvenate the natural world. Chapter 17 and 18 give the message of attaining wholeness of being if we follow the principal laws of nature. Since the human body is made up of nature, the deviation from the natural causes disharmony in life and the world in general. The knowledge embedded in Gita is fathomable and logical. The sections seeming difficult also simply direct to infuse oneself with nature. Becoming companion of nature is an easy task for the mankind which is born and fostered by nature.



Shrimad Bhagavad Gita


Shrimad Bhagavad Gita
DOWNLOAD

Author : Om Nilambar
language : hi
Publisher: Booksclinic Publishing
Release Date : 2022-05-31

Shrimad Bhagavad Gita written by Om Nilambar and has been published by Booksclinic Publishing this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 2022-05-31 with Self-Help categories.




Bhagavadgita Dwara Swayam Ko Mukta Karen


Bhagavadgita Dwara Swayam Ko Mukta Karen
DOWNLOAD

Author : Acharya Pundrik Goswami
language : hi
Publisher: Prabhat Prakashan
Release Date : 2023-10-19

Bhagavadgita Dwara Swayam Ko Mukta Karen written by Acharya Pundrik Goswami and has been published by Prabhat Prakashan this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 2023-10-19 with Religion categories.


Bhagavadgita Dwara Swayam Ko Mukta Karen "भगवद्गीता द्वारा स्वयं को मुक्त करें" Book In Hindi - Acharya Pundrik Goswami गीता आध्यात्मिकता का सर्वाधिक आकर्षक परिचय है, क्योंकि भगवद्गीता की पृष्ठभूमि में युद्धक्षेत्र और दो भाइयों के बीच युद्ध है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि यह उपदेश जंगल में नहीं दिया गया, €योंकि जंगल में मन और विवेक के मध्य विवाद की आवश्यकता ही नहीं है। जंगल में जा भी वही सकता है, जिसने मन को जीत लिया है; जिसने मन को नहीं जीता हो, वह जंगल में होते हुए भी जंगल में नहीं हो सकता, इसलिए यह युद्ध के मध्य का विषय है। सारा जीवन युद्ध का मैदान ही तो है और तुम्हें उसी में सही और गलत के मध्य खड़े रहना है। यह युद्ध दो शत्रुओं के मध्य नहीं, दो भाइयों के मध्य है। सबसे बड़ा विषाद यहीं खड़ा होता है, क्योंकि दो अपनों में ही, मन और विवेक के मध्य युद्ध होता है, जबकि शत्रु के लिए यह तो सीधी सी बात है; उससे तो तुम लड़ ही पड़ोगे, पर यह मनमोहक है। जब युद्ध की बात शुरू होती है, तब अर्जुन बीच में पहुँच जाता है और रथ में बैठकर अपने सामने वालों को देखता है; फिर कहता है, मैं युद्ध नहीं लड़ूँगा। अब उसके सामने दो विरोधाभास (Two Paradoxes) आते हैं। अर्जुन युद्ध से निवृत्त होना चाहता है, पर श्रीकृष्ण उसे युद्ध के लिए प्रेरित करते हुए कहते हैं, ‘क्या बात करता है? उठ, खड़ा हो! युद्ध कर! तुम्हें चाहिए कि तुम उन्हें मार डालो, तुम्हें उठ खड़ा होना चाहिए। क्या तू नपुंसकों की तरह व्यवहार कर रहा है?’ और जब अर्जुन युद्ध करने को तैयार हो जाता है तो श्रीकृष्ण उससे कहते हैं—‘बिना किसी घृणा भाव से लड़ो; बिना किसी ईष्र्या-द्वंद के युद्ध करो।’



Sampurna Bhagavad Gita


Sampurna Bhagavad Gita
DOWNLOAD

Author : Sirshree
language : hi
Publisher: WOW PUBLISHINGS PVT LTD
Release Date : 2019-12-05

Sampurna Bhagavad Gita written by Sirshree and has been published by WOW PUBLISHINGS PVT LTD this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 2019-12-05 with Religion categories.


गीता ज्ञान रहस्य गीता एक ऐसा आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो सदियों से सत्य साधकों के अतिरिक्त संसारियोंऔर दार्शनिकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहा है। समय-समय पर गीता को विश्व के विभिन्न दार्शनिकों ने, रचनाकारों ने अपनी भाषा में, अपने दृष्टिकोण से, अपनी समझ के साथ पुनः-पुनः प्रस्तुत किया है। ऐसा ही एक प्रयास तेजज्ञान फाउंडेशन ने भी किया है। प्रस्तुत गीता में श्रीकृष्ण की वाणी को तेजज्ञान के प्रकाश में लाया गया है ताकि इसके पीछे छिपी सार्थक समझ को सरलतम रूप में पाठकों तक पहुँचाया जा सके। गीता सिर्फ अर्जुन का संशय दूर नहीं करती, यह हर उस इंसान को राह दिखाती है, जो रोज किसी न किसी समया रूपी युद्ध में घिर जाता है। यह एक ऐसी युक्ति है, जिससे आपके संघर्ष खेल बन जाएँगे, आपकी ज़िम्मेदारियाँ न सिर्फ सहजता से पूरी होंगी बल्कि आपके आनंद औरमुक्ति का कारण भी बन जाएँगी। अपनी किसी भी समया के जवाब के लिए आपको कहीं और जाने की ज़रूरत नहीं, गीता में समस्त जवाब मिल जाएंगे। इसमें आप जानेंगे जीवन की अठारह युक्तियाँ - * असमंजसता (दुविधा) के लिए युक्ति * परम शांति युक्ति * कायम उपाय पाने की युक्ति * बेबसी (अविश्वास) के लिए युक्ति * पूर्ण योगी युक्ति * सत्-चित्त मन युक्ति(SCM) * अज्ञान के लिए युक्ति * सद्गति युक्ति * असाधारण समर्पण युक्ति * उपासना युक्ति * हम ब्रम्हास्मि युक्ति * ईश्वर का प्रिय बनने की (Dear of God) * यथार्थ जीवन जीने की युक्ति * सुस्ती मिटाने की युक्ति * उत्तम पुरुषोत्तम युक्ति * शास्त्र अनुकूल कर्म युक्ति * श्रद्धायुक्त युक्ति * अंतिम युक्ति-शुभक्ति गीता वह पतवार है, जिसके सहारे अर्जुन की जीवन नैया कर्तव्यबोध और स्वबोध के दो किनारों पर एक साथ लगी।आज यह पतवार आपको मिलने जा रही है। अपने जीवन की यात्रा इस पतवार के सहारे पार करेंगे तो सदामुक्त और आनंदित रहेंगे।



The Bhagavad Gita For Students


The Bhagavad Gita For Students
DOWNLOAD

Author : K.K. Shanmukhan
language : hi
Publisher: Suruchi Prakashan
Release Date : 2017-02-01

The Bhagavad Gita For Students written by K.K. Shanmukhan and has been published by Suruchi Prakashan this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 2017-02-01 with categories.




Basanteshwari Bhagavadgita


Basanteshwari Bhagavadgita
DOWNLOAD

Author : Basant Prabhat Joshi
language : hi
Publisher: Basant Prabhat Joshi
Release Date : 2021-05-10

Basanteshwari Bhagavadgita written by Basant Prabhat Joshi and has been published by Basant Prabhat Joshi this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 2021-05-10 with Art categories.


गीता का उपदेश अत्यन्त पुरातन योग है। श्री भगवान कहते हैं इसे मैंने सबसे पहले सूर्य से कहा था। सूर्य ज्ञान का प्रतीक है यहाँ श्री भगवान के वचनों का तात्पर्य है कि पृथ्वी उत्पत्ति से पहले भी अनेक स्वरूप अनुसंधान करने वाले भक्तों को यह ज्ञान दे चुका हूँ। यह ईश्वरीय वाणी है जिसमें सम्पूर्ण जीवन का सार है एवं आधार है। मैं कौन हूँ? यह देह क्या है? इस देह के साथ क्या मेरा आदि और अन्त है? देह त्याग के पश्चात् क्या मेरा अस्तित्व रहेगा? यह अस्तित्व कहाँ और किस रूप में होगा? मेरे संसार में आने का क्या कारण है? मेरे देह त्यागने के बाद क्या होगा, कहाँ जाना होगा? किसी भी जिज्ञासु के हृदय में यह बातें निरन्तर घूमती रहती हैं। हम सदा इन बातों के बारे में सोचते हैं और अपने को, अपने स्वरूप को नहीं जान पाते। गीता शास्त्र में इन सभी के प्रश्नों के उत्तर सहज ढंग से श्री भगवान ने धर्म संवाद के माध्यम से दिये हैं। इस देह को जिसमें 36 तत्व जीवात्मा की उपस्थिति के कारण जुड़कर कार्य करते हैं, क्षेत्र कहा है और जीवात्मा जो इस क्षेत्र में निवास करता है, वही इस देह का स्वामी है परन्तु एक तीसरा पुरुष भी है, जब वह प्रकट होता है; अधिदैव अर्थात 36 तत्वों वाले इस देह (क्षेत्र) को और जीवात्मा (क्षेत्रज्ञ) का नाश कर डालता है। यही उत्तम पुरुष ही परम स्थिति और परम सत् है। यही नहीं, देह में स्थित और देह त्यागकर जाते हुए जीवात्मा की गति का यथार्थ वैज्ञानिक एंव तर्कसंगत वर्णन गीता शास्त्र में हुआ है। जीवात्मा नित्य है और आत्मा (उत्तम पुरुष) को जीव भाव की प्राप्ति हुई है। शरीर के मर जाने पर जीवात्मा अपने कर्मानुसार विभिन्न योनियों में विचरण करता है। गीता का प्रारम्भ धर्म शब्द से होता है तथा गीता के अठारहवें अध्याय के अन्त में इसे धर्म संवाद कहा है। धर्म का अर्थ है धारण करने वाला अथवा जिसे धारण किया गया है। धारण करने वाला जो है उसे आत्मा कहा गया है और जिसे धारण किया है वह प्रकृति है। आत्मा इस संसार का बीज (पिता) है और प्रकृति गर्भधारण करने वाली योनि (माता) है। धर्म शब्द का प्रयोग गीता में आत्म स्वभाव एवं जीव स्वभाव के लिए जगह जगह प्रयुक्त हुआ है। इसी परिपेक्ष में धर्म एवं अधर्म को समझना आवश्यक है। आत्मा का स्वभाव धर्म है या कहा जाय धर्म ही आत्मा है। आत्मा का स्वभाव है पूर्ण शुद्ध ज्ञान; ज्ञान ही आनन्द और शान्ति का अक्षय धाम है। इसके विपरीत अज्ञान, अशान्ति, क्लेश और अधर्म का द्योतक है। आत्मा अक्षय ज्ञान का श्रोत है। ज्ञान शक्ति की विभिन्न मात्रा से क्रिया शक्ति का उदय होता है, प्रकति का जन्म होता है। प्रकृति के गुण सत्त्व, रज, तम का जन्म होता है। सत्त्व-रज की अधिकता धर्म को जन्म देती है, तम-रज की अधिकता होने पर आसुरी वृत्तियाँ प्रबल होती हैं और अधर्म फैल जाता है। धर्म की स्थापना अर्थात गुणों के स्वभाव को स्थापित करने के लिए, सतोगुण की वृद्धि के लिए, अविनाशी ब्राह्मी स्थिति को प्राप्त आत्मा अपने संकल्प से देह धारण कर अवतार गृहण करती है। सम्पूर्ण गीता शास्त्र का निचोड़ है बुद्धि को हमेशा सूक्ष्म करते हुए महाबुद्धि आत्मा में लगाये रक्खो तथा संसार के कर्म अपने स्वभाव के अनुसार सरल रूप से करते रहो। स्वभावगत कर्म करना सरल है और दूसरे के स्वभावगत कर्म को अपनाकर चलना कठिन है क्योंकि प्रत्येक जीव भिन्न भिन्न प्रकृति को लेकर जन्मा है, जीव जिस प्रकृति को लेकर संसार में आया है उसमें सरलता से उसका निर्वाह हो जाता है। श्री भगवान ने सम्पूर्ण गीता शास्त्र में बार बार आत्मरत, आत्म स्थित होने के लिए कहा है। स्वाभाविक कर्म करते हुए बुद्धि का अनासक्त होना सरल है अतः इसे ही निश्चयात्मक मार्ग माना है। यद्यपि अलग अलग देखा जाय तो ज्ञान योग, बुद्धि योग, कर्म योग, भक्ति योग आदि का गीता में उपदेश दिया है परन्तु सूक्ष्म दृष्टि से विचार किया जाय तो सभी योग बुद्धि से श्री भगवान को अर्पण करते हुए किये जा सकते हैं इससे अनासक्त योग एवं निष्काम कर्म योग स्वतः सिद्ध हो जाता है।



Yatharth Geeta


 Yatharth Geeta
DOWNLOAD

Author : Swami Adgadanand
language : hi
Publisher: Shri Paramhans Swami Adgadanandji Ashram Trust
Release Date : 1994-07-22

Yatharth Geeta written by Swami Adgadanand and has been published by Shri Paramhans Swami Adgadanandji Ashram Trust this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on 1994-07-22 with Religion categories.


श्रीकृष्ण जिस स्तर की बात करते हैं, क्रमश: चलकर उसी स्तर पर खड़ा होनेवाला कोई महापुरुष ही अक्षरश: बता सकेगा कि श्रीकृष्ण ने जिस समय गीता का उपदेश दिया था, उस समय उनके मनोगत भाव क्या थे? मनोगत समस्त भाव कहने में नहीं आते। कुछ तो कहने में आ पाते हैं, कुछ भाव-भंगिमा से व्यक्त होते हैं और शेष पर्याप्त क्रियात्मक हैं– जिन्हें कोई पथिक चलकर ही जान सकता है। जिस स्तर पर श्रीकृष्ण थे, क्रमश: चलकर उसी अवस्था को प्राप्त महापुरुष ही जानता है कि गीता क्या कहती है। वह गीता की पंक्तियाँ ही नहीं दुहराता, बल्कि उनके भावों को भी दर्शा देता है; क्योंकि जो दृश्य श्रीकृष्ण के सामने था, वही उस वर्तमान महापुरुष के समक्ष भी है। इसलिये वह देखता है, दिखा देगा; आपमें जागृत भी कर देगा, उस पथ पर चला भी देगा। ‘पूज्य श्री परमहंस जी महाराज’ भी उसी स्तर के महापुरुष थे। उनकी वाणी तथा अन्त:प्रेरणा से मुझे गीता का जो अर्थ मिला, उसी का संकलन ’यथार्थ गीता’ है। – स्वामी अड़गड़ानन्द



Stress Managment With Bhagwat Geeta


Stress Managment With Bhagwat Geeta
DOWNLOAD

Author : Dr Arti vajpai
language : hi
Publisher: Onlinegatha
Release Date :

Stress Managment With Bhagwat Geeta written by Dr Arti vajpai and has been published by Onlinegatha this book supported file pdf, txt, epub, kindle and other format this book has been release on with Antiques & Collectibles categories.


In today's life,stress can be seen from a child to old age. Stress stays with us in our life from the time we are born till the time we die. And because of this stress,even the educated people in our society lose their self-restraint and sit down in a big way like suicide.As recently done by Sushant singh Rajput. Therefore,if we take the gita in our life,then we find that our self -control also remains and we also know how to live life.